क्या मिलिए ऐसे लोगों से जिन की फितरत छुपी रहे
नकली चेहरा सामने आए असली सूरत छुपी रहे
खुद से भी जो खुद को छुपाएँ क्या उन से पहचान करें
क्या उन के दामन से लिपटें क्या उन का अरमान करें
जिन की आधी निय्यत उभरे आधी निय्यत छुपी रहे
नकली चेहरा सामने आए असली सूरत छुपी रहे
जिन के जुल्म से दुखी है जनता हर बस्ती हर गाँव में
दया धरम की बात करें वो बैठ के सजी सभाओं में
दान का चर्चा घर घर पहुँचे लूट की दौलत छुपी रहे
नकली चेहरा सामने आए असली सूरत छुपी रहे
देखें इन नकली चेहरों की कब तक जय-जय-कार चले
उजले कपड़ों की तह में कब तक काला संसार चले
कब तक लोगों की नजरों से छुपी हकीकत छुपी रहे
नकली चेहरा सामने आए असली सूरत छुपी रहे। ...
प्रिय पाठकगण, सादर अभिनंदन !
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