नई दिल्ली। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण मंदी, बेरोजगारी और महंगाई से इनकार करती रही हैं। बहुत बेशर्मी से नरेंद्र मोदी से लेकर उनके तमाम सहयोगी जनता बढ़ती दिक्कतों से इनकार करते हुए अपने काम को जायज और शानदार ठहराते रहे हैं लेकिन खुद केंद्रीय सरकार की तमाम एजेंसियां और अन्य एजेंसियां जमीनी हालात बयां कर सरकारी नाकामियों को बताते रहे हैं। प्याज की महंगाई ने जहां लोगों का जायका बिगाड़ दिया है, वहीं तमाम जरूरी वस्तुओं के दाम बढ़ने से आम उपभोक्ताओं को जीवन-निर्वाह के लिए ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है। इस बात की तसदीक केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान द्वारा मंगलवार को लोकसभा में दी गई जानकारी से हुई। केंद्रीय मंत्री ने सांसद राहुल रमेश शेवाले और भर्तृहरि महताब के सवालों का लिखित जवाब देते हुए आवश्यक वस्तुओं की जो कीमत सूची सौंपी है उससे जाहिर होता है कि चावल, गेहूं, आटा, दाल, तेल, चाय, चीनी और गुड़ समेत सब्जियों और दूध के दाम में जनवरी के मुकाबले साल के आखिरी महीने दिसंबर में वृद्धि हुई है।
उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा निगरानी की जाने वाली 22 आवश्यक वस्तुओं में से ज्यादातर वस्तुओं के दाम में लगातार वृद्धि का सिलसिला जारी रहा है। खासतौर से आलू, टमाटर और प्याज के दाम में ज्यादा वृद्धि हुई है। प्याज का औसत खुदरा भाव इस साल मार्च में जहां 15.87 रुपये प्रति किलो था वहां तीन दिसंबर 2019 को 81.9 रुपये प्रति किलो हो गया। इस प्रकार मार्च के बाद प्याज के दाम में 416 फीसदी का इजाफा हुआ है। चावल और गेहूं के दाम में तकरबीन 10 फीसदी की वृद्धि हुई तो दालों के दाम में 30 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। दोनों सांसदों ने उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री से इस साल आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में हुई वृद्धि की जानकारी मांगी थी।
उन्होंने केंद्रीय मंत्री से कीमतों पर नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की भी जानकारी मांगी थी। मंत्री ने बताया कि मांग-आपूर्ति में असमानता, प्रतिकूल मौसमी दशाओं और सीजन की अन्य वजहों व परिवहन लागतों में वृद्धि, भंडारण की कमी के साथ-साथ जमाखोरों और कालाबाजारियों द्वारा कृत्रिम कमी पैदा करने के कारण आपूर्ति श्रृंखला पर दबाव आने से वस्तुओं के खुदरा मूल्य प्रभावित होते हैं। उन्होंने आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए सरकार की ओर उठाए जाने वाले कदमों का भी जिक्र किया।
नयी दिल्ली। प्याज की कीमतें लगातार दूसरे सप्ताह ऊंचाई पर बनी हुई हैं. मंगलवार को ज्यादातर जगहों पर भाव औसतन 100 रुपये किलो से ऊपर चल रहे थे. ऐसा लगता है कि सरकार कीमत को काबू में लाने के लिए जो प्रयास कर रही है, उसके नतीजे आने में अपेक्षा के मुकाबले अधिक समय लग सकता है. आधिकारिक आंकड़े के अनुसार, पणजी में प्याज का भाव सर्वाधिक 165 रुपये किलो रहा. वहीं, देश के 114 बड़े शहरों में औसत कीमत 100 रुपये किलो से ऊपर रही. प्याज के दाम में सितंबर से तेजी आनी शुरू हुई और 25 नवंबर से औसतन 100 रुपये किलो से ऊपर बनी हुई है.
आंकड़े के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में प्याज का भाव 96 रुपये किलो, मुंबई में 102 रुपये किलो, चेन्नई में 100 रुपये और कोलकाता में 140 रुपये किलो पर पहुंच गया. तिरुअनंतपुरम, कोझिकोड में प्याज की कीमत 160 रुपये किलो, जबकि तिरुपति, एर्नाकुलम और पल्लकड जैसे शहरों में 150 रुपये किलो पहुंच गयी. आंकड़े के अनुसार, बेंगलुरु, वायनाड, रामनाथपुरम और पोर्ट ब्लेयर में प्याज का भाव 140 रुपये किलो है.
गुड़गांव, जगदलपुर, बहरामपुर, पुरुलिया, मालदा, इटानगर, अगरतला और पुडुचेरी में प्याज का भाव 120 रुपये किलो पर पहुंच गया है. अमृतसर, सूरत, जबलपुर, दरभंगा, संभलपुर, बालेश्वर और गंगटोक में इस सब्जी की कीमत 110 रुपये किलो पर पहुंच गयी है. पिछले महीने केंद्रीय खाद एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री ने कीमत में वृद्धि के लिए खरीफ और देर से बोई जाने वाली खरीफ फसल के उत्पादन में 26 फीसदी की गिरावट को जिम्मेदार ठहराया था. इसकी वजह महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे बड़े उत्पादक राज्यों में अत्यधिक बारिश थी.
मंत्री ने यह बार-बार कहा है कि कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए हर संभव कदम उठाये जायेंगे. इसमें 1.2 लाख टन के आयात की अनुमति तथा निर्यात पर पाबंदी शामिल हैं. सरकार ने खुदरा और थोक व्यापारियों के लिए भंडार सीमा भी तय की है. सोमवार को इस सीमा में और कटौती की गयी तथा खुदरा कारोबारियों के लिए इसे 5 टन से घटाकर 2 टन कर दिया गया. विशेषज्ञों का अनुमान है कि जनवरी के पहले सप्ताह तक प्याज के भाव ऊंचे रह सकते हैं. उस समय से नयी फसल की आवक होने लगेगी.
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