बीजिंग/वॉशिंगटन. चीन ने कोरोनावायरस को वुहान लाने में अमेरिकी सेना का हाथ होने की आशंका जताई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने गुरुवार रात ट्विटर पर कहा, “कोरोनावायरस पर अमेरिका पारदर्शी रवैया क्यों नहीं अपना रहा? ये भी तो हो सकता है कि ये वायरस अमेरिकी सेना की वजह से हमारे वुहान शहर तक पहुंचा हो। झाओ के इस बयान के एक दिन पहले अमेरिका ने आरोप लगाया था कि चीन ने कोरोनावायरस पर एक्शन लेने में काफी देर कर दी। ट्रम्प प्रशासन ने ये भी कहा था चीन की लेटलतीफी के चलते ही कोरोनावायरस दूसरे देशों तक फैला। इस बीच, शुक्रवार को इस संक्रमण से मरने वालों की संख्या 4983 तक पहुंच गई।
अमेरिका और चीन के बीच कोरोनावायरस पर आरोप-प्रत्यारोप का नया दौर बुधवार को शुरू हुआ। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ’ब्रायन ने चीन पर सीधा हमला किया। कहा, कोरोनावायरस पर चीन ने देर से एक्शन लिया। यही वजह है कि दुनिया दो महीने से इसके दुष्परिणाम झेल रही है। अगर ये दो महीने पहले ही पता लग जाता तो इससे निपटने की तैयारी की जा सकती थी। ओ’ब्रायन के बयान के बाद चीन का सख्त रुख सामने आया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान दो ट्वीट किए। कहा, अमेरिका पारदर्शी रवैया क्यों नहीं अपनाता। उसने अपने हॉस्पिटल्स के नाम क्यों नहीं बताए। हो सकता है अमेरिकी सेना ही कोरोनावायरस को हमारे वुहान शहर लाई हो। अब आप अपना डेटा सार्वजनिक करें। अमेरिका हमसे क्यों सफाई चाहता है? अमेरिका पर बेहद गंभीर आरोप लगाने वाले झाओ ने इससे जुड़ा कोई सबूत नहीं दिया।
मंगलवार को चीनी विदेश मंत्रालय के एक और प्रवक्ता गेंग शुआंग ने भी कोरोनावायरस पर अमेरिकी रवैये की आलोचना की थी। गेंग ने कहा था, अमेरिकी अधिकारी कोरोनावायरस को लेकर जिस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं वो बेहद अनैतिक और गैरजिम्मेदाराना है। इस वक्त तो अमेरिका को अपनी ताकत इस वायरस के संक्रमण को रोकने और सहयोग बढ़ाने पर लगानी चाहिए। चीन पर आरोप लगाने से कुछ हासिल नहीं होगा। बता दें कि कोरोनावायरस सबसे पहले चीन के वुहान शहर में ही सामने आया था। अब तक करीब सवा सौ देशों में इसका संक्रमण फैल चुका है। शुक्रवार 13 मार्च की सुबह 11 बजे तक दुनियाभर में कोरोनावायरस के कुल 1,34,769 मामले सामने आए थे। 4,983 लोगों की मौत हो चुकी है। यह वह आंकड़े हैं जो अस्पतालों में मरीजों के आगमन के बाद दर्ज किये गये। वास्तविक आंकड़े इससे कहीं ज्यादा हैं।
चीनी आशंका निराधार भी नहीं कही जा सकती। अमेरिका आर्थिक और सामरिक मामले में अमेरिका का मुख्य प्रतिद्वंद्वी है। हो सकता है चीन को बर्बाद करने के लिए अमेरिका ने कोई साजिश रची हो। चीन कोरोना वायरस के कारण आर्थिक रूप से बुरी तरह तबाह हो चुका है। उत्पादन और आवाजाही पर पूरी तरह से रोक लग गई है। ऐसे में अमेरिकी कंपनियों के लिए अवसर बहुत ज्यादा बढ़ गये हैं। कोरोना का दूसरा सबसे बड़ा शिकार ईरान हुआ। ईरान से अमेरिका पुराने जमाने से दुश्मनी निभाता आ रहा है। उस पर पहले ही तमाम तरह के प्रतिबंध अमेरिका ने लगा रखे हैं। अब कोरोना के चलते ईरान की हालत और खराब हो चली है। हालांकि भारत सहित अमेरिका और दूसरे देशों को भी कोरोना से बड़ा आर्थिक झटका लगा है लेकिन यह सीमित समय के लिए नुकसान उठाने की स्थिति हो सकती है। बाद में अमेरिका की कंपनियों को पूरी दुनिया में अपना माल बेचने के अवसर ज्यादा सुलभ हो सकते हैं।
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