नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण और लाॅकडाउन के दौर से गुजर रहे विश्व में बदलाव हो रहे हैं। करोड़ों-करोड़ लोगों का जीवन हमेशा-हमेशा के लिए चंद दिनों में बदल जाने वाला है जबकि आदमी की आदतों में बदलाव दशकों, सदियों में होता है। बायोकॉन कंपनी की एग्जीक्यूटिव चेयरपर्सन किरण मजूमदार-शॉ का कहना है कि विश्व का बिजनेस माॅडल 360 डिग्री बदलने वाला है। कई ऐसे वर्क कल्चर खत्म हो जाएंगे, जो बिजनेस का अहम हिस्सा रहे थे। कोविड-19 दुनिया को वर्चुअल रियलिटी में रीबूट करेगा। अपने ब्लाॅग में उन्होंने भविष्य की दुनिया का खाका खींचा है।
शॉ ने ने कहा कि कोविड-19 संकट के बाद वर्क फ्रॉम होम मॉडल जारी रह सकता है। वर्चुअल मीटिंग फिजिकल मीटिंग जितनी ही कारगर साबित हुई है। ऐसे में बिजनेस ट्रैवल में कटौती का रुख जारी रहने की संभावना है। नए विश्व में वर्चुअल रियलिटी नई व्यवस्था होगी। कोरोना महामारी से उपजे झटकों का दुनिया पर जबरदस्त प्रभाव होगा। चालू वित्त वर्ष की शुरुआत में विश्व अर्थव्यवस्था 90 लाख करोड़ डॉलर (6,840 लाख करोड़ रुपए) की थी। अगले वित्त वर्ष की शुरुआत तक यह मंदी की गिरफ्त में चली जाएगी। इसके असर से 5 ट्रिलियन डॉलर (380 लाख करोड़ रुपए) का नुकसान होगा। कोविड-19 ऐसा रीबूट बटन है, जिससे पूरी व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव की शुरुआत होगी।
शॉ ने ने कहा कि अब से एक साल बाद हमारे जीवन जीने, काम करने और टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करने के तौर-तरीके पूरी तरह बदल जाएंगे। मानवता को बचाए रखने के लिए हमें कई अनुशासनात्मक कदम उठाने होंगे। कोरोनावायरस ने हमारे हेल्थ केयर सिस्टम की कई कमियां उजागर कर दीं। खासकर विकसित देशों की, जहां दूसरे विश्व युद्ध के बाद से इसमें कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ। सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं, महत्वपूर्ण चीजों की आपूर्ति की नीति बनानी होगी। मेडिकल उपकरणों, उपचार, दवा व वैक्सीन की आकस्मिक योजना बनानी होंगी। कोविड-19 मानवता को सबसे बड़ा सबक यह है कि इस समय में हम सब एकजुट हैं। जो चीज एक व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है, उससे हर व्यक्ति, हर जगह प्रभावित हो सकता है। जाति, धर्म, आर्थिक रुतबे, राष्ट्रीयता की चिंता करने के बजाय हमें होमो सैपियंस की तरह एक होकर सोचने और करने की जरूरत है।
प्रिय साथियों, कोरोना रोकथाम के मद्देनजर किये गये लाॅकडाउन से गरीबों, असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों, अनेक अनियमित जीविकोपार्जन के तरीकों को अपनाने वाले लोग बेहद संकट में हैं। निम्न और उच्च मध्यवर्ग को भी मुश्किलें आने वाली हैं। पीढ़ियों से जमे कारोबार और रोजगार खत्म हो गये हैं। सरकारी राहत ऊंट के मुहं में जीरा साबित हो रही है। लाॅकडाउन करने से पहले कम से कम दो तिहाई जनता के लिए सरकारों ने सामाजिक सुरक्षा के इंतजाम नहीं किये और कोरोना की जांच, उपचार के लिए जरूरी व्यवस्थाएं नहीं की गई। लाॅकडाउन करने के बाद ही इन कामों में तेजी आई है। अब गरीब से लेकर अमीर तक सब परेशान हैं। समकालीन भारत में वास्तव में क्या हो रहा है यह जानना और समझना और उसके हिसाब से अपने आपको / समाज को बचाने के लिए जरूरी है कि आप सही सूचनाएं ग्रहण करें। हमारा ऐसा ही प्रयास है। कृपया हमारी वेबसाइट देखें, अपनी राय, समाचार, रचनाएं भेजिए ईमेल peoplesfriend9@gmail.com पर। मो. 9897791822 पर अपने नाम पते सहित अपना संदेश एसएमएस कर सकते हैं। रिपोर्टर बनकर अपनी आमदनी बढ़ाएं हमें भी सहयोग दें। हिंदी समाचार-विचार वेबसाइट्स- https://uttaranchaljandrishtikon.page और https://peoplesfriend.page