देहरादून। उत्तराखंड में स्थित भगवान शिव के धाम केदारनाथ और बदरीनाथ मंदिरों के कपाट धार्मिक परंपराओं के आधार पर खोला जाएगा लेकिन श्रद्धालु अभी दर्शनों से वंचित रहेंगे। उत्तराखंड कैबिनेट ने यह तय किया है कि चार धामों के कपाट खुलने के समय आम जनता को दर्शन की अनुमति नहीं होगी। आम जनता के लिए लॉकडाउन अवधि तक धार्मिक स्थलों में प्रतिबंधित किया गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया है।
बदरीनाथ और केदारनाथ धाम में कपाट खुलने के समय धामों के रावलों के नहीं पहुंचने पर ऑनलाइन पूजा के प्रस्ताव को तीर्थ पुोरोहितों ने ठुकरा दिया है। उनका कहना है कि यह पहले से ही स्थापित परंपरा है कि अगर प्रमुख रावल किन्ही कारणों से कपाट खुलने के वक्त नहीं पहुंच पाते हैं तो धाम के पुरोहित विधि-विधान से पूजा अर्चना करा सकते हैं। सरकार की तरफ से कहा जा रहा है कि चारों धामों में कपाट तय समय पर ही खुलेंगे।
लॉकडाउन के बीच उत्तराखंड की चारधाम की यात्रा 26 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन गंगोत्री मंदिर के कपाट खुलने के बाद शुरू मानी जाएगी। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव श्रीमहंत रवींद्र पुरी ने बताया कि जब तक लॉकडॉउन जारी रहेगा तब तक श्री गंगोत्री धाम का समस्त खर्चा मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट वहन करेगा। गंगोत्री धाम के रावल शिवप्रकाश महाराज ने बताया कि लॉकडाउन में होने वाली पूजा विधान सोशल डिस्टेंसिंग के साथ की जाएगी। 25 अप्रैल को मुखीमठ से गंगा जी की डोली शुरू होगी जो 26 अप्रैल को गंगोत्री धाम पहुंचेगी।
साथियों, लाॅकडाउन के चलते देश की करीब आधी आबादी की हालत खराब है। कोरोना का प्रसार रोकने को लाॅकडाउन जरूरी था लेकिन सीमित समय के लिए खुल रही दुकानों और बैंकों के आगे लगी भीड़ सोशल डिस्टेंसिंग की ऐसी-तैसी कर रही है। हमें लाॅकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए भी जरूरतमंद की मदद करनी चाहिए और अपने स्थानीय जनप्रतिनिधियों, अपने राज्य की और केंद्र की सरकार से सवाल करना चाहिए कि लाॅकडाउन से पहले स्वास्थ्य-चिकित्सा और सामाजिक सुरक्षा के लिए पर्याप्त इंतजाम क्यों नहीं किये गये ? भुखमरी, बदहाली से जो मानवीय हानि हो रही है उसका जिम्मेदार कौन है ?
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