चीन का बढ़ता आर्थिक प्रभाव, एचडीएफसी में 1.75 करोड़ शेयरों का अधिग्रहण, विदेशी निवेशकों ने भारत से निकाले 1.23 लाख करोड़


नई दिल्ली। चीन ने बहुत हद तक कोरोनावायरस के संक्रमण पर काबू पा लिया है। इस समय उसके मुख्य प्रतिद्वंद्वी अमेरिका की हालत सर्वाधिक खस्ता है। माना जा रहा है कि चीन अपने आर्थिक प्रभाव को बढ़ाने के लिए इस मौके का इस्तेमाल कर सकता है। जिसके संकेत मिलने लगे हैं।
 भारत में जारी लॉकडाउन के बीच चीन के पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने भारत की प्रमुख कर्जदार कंपनी हाउसिंग डवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (एचडीएफसी) में 1 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली है। बीएसई को दी गई जानकारी के अनुसार चीन के केंद्रीय बैंक ने मार्च तिमाही एचडीएफसी के करीब 1.75 करोड़ शेयरों का अधिग्रहण किया है।यह डवलपमेंट ऐसे समय में सामने आया है जब एचडीएफसी के शेयरों में भारी गिरावट आई है। पूरी दुनिया में फैले कोरोनावायरस संक्रमण के कारण एचडीएफसी के शेयरों में पिछले एक महीने में 25 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आ गई है। बीते सप्ताह शुक्रवार को कारोबारी सप्ताह के अंतिम दिन बीएसई पर एचडीएफसी के शेयर 1701.95 रुपए प्रति शेयर पर बंद हुआ था। इस शेयर खरीदारी के बाद एचडीएफसी में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकी की हिस्सेदारी बढ़कर 70.88 फीसदी पर पहुंच गई है। इसमें 3.23 फीसदी हिस्सेदारी सिंगापुर सरकार की भी है। पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने दुनियाभर की कई कंपनियों में हिस्सेदारी खरीद रखी है। इसमें बीपी पीएलसी और रॉयल डच शैल पीएलसी जैसी बड़ी कंपनियां भी शामिल हैं। मार्च में कोरोनावायरस के कहर के कारण शेयर बाजारों में अफरा-तफरी के माहौल से जहां बाजार ने गहरा गोता लगाया वहीं इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में 11,485 करोड़ रुपये का निवेश हुआ जो पिछले एक साल में सबसे ज्यादा मासिक इनफ्लो है। इसका संकेत यह है कि बाजार की गिरावट से निवेशकों ने मुंह मोड़ लिया और सुरक्षित माने जानेवाले म्यूचुअल फंडों में निवेश किया। हालांकि इसी दौरान विदेशी निवेशकों यानी एफआईआई ने भारतीय इक्विटी और डेट बाजार से कुल 1.23 लाख करोड़ रुपये की निकासी की, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों यानी डीआईआई ने 55,595 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था।


साथियों, लाॅकडाउन के चलते देश की करीब आधी आबादी की हालत खराब है। कोरोना का प्रसार रोकने को लाॅकडाउन जरूरी था लेकिन सीमित समय के लिए खुल रही दुकानों और बैंकों के आगे लगी भीड़ सोशल डिस्टेंसिंग की ऐसी-तैसी कर रही है। हमें लाॅकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए भी जरूरतमंद की मदद करनी चाहिए और अपने स्थानीय जनप्रतिनिधियों, अपने राज्य की और केंद्र की सरकार से सवाल करना चाहिए कि लाॅकडाउन से पहले स्वास्थ्य-चिकित्सा और सामाजिक सुरक्षा के लिए पर्याप्त इंतजाम क्यों नहीं किये गये ? भुखमरी, बदहाली से जो मानवीय हानि हो रही है उसका जिम्मेदार कौन है ?
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