नई दिल्ली। कोरोनावायरस के कारण हुए लॉकडाउन के चलते दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी घरों में है। दफ्तरों से लेकर स्कूल-कॉलेज तक सब कुछ बंद हैं। ऐसे में हफ्तों से अपने घरों में बैठे लोग इंटरनेट पर अपना ज्यादा समय बिता रहे हैं। ऑनलाइन डाटा प्रोवाइडर्स सिमिलर वेब और एपटोपिया के मुताबिक महामारी फैलने के बाद इंटरनेट यूसेज में बड़ा बदलाव आया है। हालांकि डेटा की खपत कुछ घटी है, इसका एक कारण तो यह है कि लोगों के पास पैसे की कमी है, रिचार्ज की सुविधा भी सर्वसुलभ नहीं है। पैसे की कमी और भविष्य की चिंता के चलते लोग एक-एक पैसा बहुत सोच-समझ कर खर्च कर रहे हैं। ऐसे में कहां, कितना बचाया जा सकता है और कम से कम में काम चलाया जा सकता है, यह सोच आज सबसे प्रबल है। लेकिन जो सक्षम हैं वे भी कुछ बदले हैं। पहले काम-काजी लोगों के पास वक्त की बहुत कमी रहती थी, अब वक्त ही वक्त है, वक्त काटे नहीं कट रहा, अपने प्रियजनों से मिलना-जुलना बंद है। ऐसे में मोबाइल और इंटरनेट एक बड़ा जरिया है लोगों को आपस में जोड़े रखने का। ऐसे में लोग सामान्य बातचीत के अलावा बहुत लोग वीडियो काॅलिंग का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके अलावा वर्क फ्राॅम होम के चलते मे और अन्य तरह से इंटरनेट इस्तेमाल ज्यादा बढ़ा है।
अमेरिकी सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने लोकप्रियता के मामले में कई बड़ी न्यूज वेबसाइट्स को पीछे छोड़ दिया है। कोरोनावायरस सर्चिंग के कारण अमेरिकी सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के होम पेज पर एवरेज यूजर ट्रैफिक एक करोड़ से ज्यादा पर पहुंच गया। जबकि विकिपीडिया के आंकड़े लगातार गिर रहे हैं।
कोरोना महामारी के चलते केवल इंटरनेट यूसेज में इजाफा नहीं हुआ है। यूजर्स ने इंटरनेट उपयोग का तरीका भी बदल लिया है। लोग फोन से ज्यादा वेबसाइट पर शिफ्ट हो रहे हैं। 15 जनवरी से 24 मार्च के आंकड़ों के आधार पर तैयार इस रिपोर्ट के मुताबिक फेसबुक का डेली ट्रैफिक 12 करोड़ से बढ़कर 17 करोड़ हो गया है। जबकि एप पर केवल 1.1 फीसदी यूजर बढ़े। इसके अलावा नेटफ्लीयू.काॅम के ट्रैफिक में 16 प्रतिशत का इजाफा हुआ, जबकि इसके एप पर महज 0.3 प्रतिशत यूजर बढ़े। साथ ही यूट्यूब का ट्रैफिक 15.3 प्रतिशत बढ़ा। जबकि एप पर कंपनी को 4.5 फीसदी का नुकसान हुआ है।
घर में खाली वक्त बिता रहे लोगों का रुझान सोशल मीडिया से हटकर वीडियो कॉलिंग पर भी बढ़ा है। लॉकडाउन के समय में वीडियो कॉलिंग सर्विसेज में काफी उछाल आया है। गूगल डुओ, हाउसपार्टी जैसी एप्स और नेआउटडोर.काॅम पर यूजर ज्यादा एक्टिव नजर आ रहे हैं। ये वीडियो कॉलिंग सर्विसेज ग्रुप कॉल के साथ ही दोस्तों के साथ गेम्स और चेट की भी सुविधा देती हैं। लॉकडाउन में स्कूल-कॉलेज तो बंद हैं, लेकिन साथ में ऑफिस एम्पलॉयज को भी वर्क फ्रॉम होम दिया गया है। ऐसे में पढ़ाई और स्कूल एसाइनमेंट्स के लिए गूगल क्लासरूम पर ट्रैफिक बढ़ा है। ऑफिस वर्क के लिए लोग जूम, गूगल हैंगाउट्स और माइक्रोसॉफ्ट टीम्स का उपयोग कर रहे हैं। लगातार बढ़ रहे यूजर्स के कारण कंपनियों को अपनी प्राइवेसी पॉलिसीज में भी बदलाव करने पड़ रहे हैं।
कोरोना महामारी के चलते कई बड़े गेम्स और लीग्स टाल दी गई हैं। ऐसे में स्पोर्ट्स एंटरटेनमेंट को काफी नुकसान हुआ है। हालांकि वीडियो गेम्स की लोकप्रियता बढ़ी है। रिपोर्ट के मुताबिक, इएसपीएन.काॅम का यूजर ट्रैफिक 40 फीसदी तक कम हुआ है। जबकि वीडियो गेम स्ट्रीमिंग साइट ट्विच टीवी के ट्रैफिक में 19 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। वीडियो मेकिंग और शेयरिंग एप टिकटॉक के यूजर्स में भी इजाफा हुआ है।
साथियों, लाॅकडाउन के चलते देश की करीब आधी आबादी की हालत खराब है। कोरोना का प्रसार रोकने को लाॅकडाउन जरूरी था लेकिन सीमित समय के लिए खुल रही दुकानों और बैंकों के आगे लगी भीड़ सोशल डिस्टेंसिंग की ऐसी-तैसी कर रही है। हमें लाॅकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए भी जरूरतमंद की मदद करनी चाहिए और अपने स्थानीय जनप्रतिनिधियों, अपने राज्य की और केंद्र की सरकार से सवाल करना चाहिए कि लाॅकडाउन से पहले स्वास्थ्य-चिकित्सा और सामाजिक सुरक्षा के लिए पर्याप्त इंतजाम क्यों नहीं किये गये ? भुखमरी, बदहाली से जो मानवीय हानि हो रही है उसका जिम्मेदार कौन है ?
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