ट्रंप ने कई करोड़ डाॅलर कर्ज लिया था चीन से


वाॅशिंगटन/पेइचिंग। पिछले काफी समय से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कई कारणों से चीन पर हमलावर हैं। हाल के दिनों में कोरोना को लेकर तो उन्होंने सारी हदें पार कर दी हैं। लेकिन एक समय उन्होंने चीन से मोटा कर्ज लिया था। वे रियल स्टेट कारोबारी हैं। पॉलिटिको की एक रिपोर्ट के मुताबिक, डॉनल्ड ट्रंप के रियल एस्टेट पार्टनर ने साल 2012 में ट्रंप की न्यूयॉर्क में बनी एक अत्यंत महंगी इमारत के लिए एक अरब डॉलर (7,500 करोड़ रुपये) का कर्ज लिया था। इस एक अरब डॉलर में से 21.1 करोड़ डॉलर (लगभग 1,600 करोड़ रुपये) का कर्ज बैंक ऑफ चाइना से लिया गया था, जो अमेरिका में अपनी तरह का पहला लोन है और यह ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में मच्योर होगा, अगर वह दोबारा यूएस के राष्ट्रपति बने तो।
 मैनहट्टन के ट्रंप टावर के अलावा, 43 मंजिला 1290 अवेन्यू ऑफ द अमेरिकाज स्कायस्क्रैपर शहर के पूरे एक ब्लॉक में फैला हुआ है। इस प्रॉपर्टी की कीमत 1 अरब डॉलर (7,500 करोड़ रुपये) से अधिक है और इसमें ट्रंप की 30 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। यह इमारत ट्रंप के सबसे बेशकीमती इमारतों में से एक है।
 ट्रंप के साल 2016 में चुनाव प्रचार अभियान के पहले और बाद में इस इमारत के मालिकाना हक को लेकर तरह-तरह की बातें हुईं। साल 2012 में जब बैंक ऑफ चाइना से इसके लिए कर्ज लिया गया था, तब इसपर किसी ने गौर नहीं किया था। ट्रंप का बैंक ऑफ चाइना के साथ संबंध तब सुर्खियों में आया, जब उन्होंने अपने प्रचार अभियान में यह दावा किया कि जो बिडेन कम्युनिस्ट देश और अमेरिका के मुख्य आर्थिक प्रतिद्वंद्वी की तरफ से अमेरिका के लिए एक तोहफा होंगे।
 ट्रंप का यह बयान सामने आने के बाद बैंक ऑफ चाइना ने शुक्रवार शाम एक बयान जारी किया है, जिसमें उसने कहा है कि इस बिल्डिंग को 2012 में लोन दिए जाने के कुछ सप्ताह बाद इस कर्ज को बेच दिया गया था। इस इमारत में 70 प्रतिशत हिस्सेदारी वोरनाडो रियल्टी ट्रस्ट की है।
 बैंक ऑफ चाइना यूएसए के चीफ कम्युनिकेशन ऑफिसर तथा एमडी पीटर रीसमैन ने कहा, 7 नवंबर, 2012 को बैंक ऑफ चाइना सहित कई वित्तीय संस्थानों ने वोरनाडो रियल्टी ट्रस्ट को 95 करोड़ डॉलर का एक कॉमर्शल मार्टगेज लोन दिया था। इसके 22 दिनों के अंदर इस लोन की स्क्रूटनी की गई और इसे (कॉमर्शल मॉर्टगेज बैक्ड सिक्यॉरिटीज) मार्केट में बेच दिया गया। उद्योग में ऐसा आमतौर पर होता है। नवंबर 2012 के बाद बैंक ऑफ चाइना का उस लोन में कोई स्वामित्व नहीं है।


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