नई दिल्ली। कोरोनावायरस और उसके फैलाव को रोकने के बहाने लगाए गये लाॅकडाउन से करोड़ों लोगों का जीवन हमेशा के लिए बदल गया। अब तमाम काम करने के तौर-तरीके लोग बदल रहे हैं। लॉकडाउन के बीच शादी-विवाह बहुत कम हुए लेकिन जीवनसाथी ढूंढने का काम बदस्तूर जारी है। अंतर यह आया है कि अब वे वांछित जीवनसाथी की तालाश आमने-सामने न मिलकर वर्चुअल तरीके से कर रहे हैं। इसका खुलासा दो दिलों को मिलाने वाली वेबसाइट जीवनसाथी.काॅम के एक सर्वे से हुआ है।
इस सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वालों में से 46 पर्सेंट लोगों ने कहा कि वे संभावित/वांछित जीवनसाथी से पहली बार वीडियो कॉल के जरिए मिलना चाहेंगे। इनमें से 39 पर्सेंट लोगों ने स्वीकार किया कि वर्तमान समय में वर्चुअल तरीका ही उनके लिए एकमात्र विकल्प है जबकि 32 प्रतिशत लोगों को यह तरीका सामान्य रूप से अधिक सुविधाजनक लगता है।
मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि भावनाओं के इजहार करने का सबसे अच्छा तरीका अच्छी बातचीत है। इस बात पर यह सर्वेक्षण भी मुहर लगाता है। इसमें हिस्सा लेने वाले 44 प्रतिशत लोगों ने स्वीकार किया कि संभावित जीवनसाथी के साथ वीडियो कॉल के जरिए होने वाली उनकी परोक्ष मुलाकात के जरिए उन चीजों के बारे में दिल से दिल की बातचीत हो सकेगी जो उनके लिए मायने रखती है। सर्वेक्षण में शामिल 29 प्रतिशत लोगों का मानना है कि कॉफी पीते हुए बातचीत करना उनके बीच की पहली वर्चुअल मुलाकात के लिए सबसे अच्छा तरीका होगा जबकि 11 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे एक साथ कोई फिल्म या कोई सीरियल देखना चाहेंगे, 10 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे ऑनलाइन गेम खेलना चाहेंगे तथा 7 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे डिनर और ड्रिंक के मौके पर भावी जीवनसाथी के साथ अपनी भावनाओं का इजहार करना चाहेंगे।
जीवनसाथी.काॅम के सर्वेक्षण से पता चला है कि कैमरे के जरिए एक दूसरे को देखने की तुलना में वीडियो कॉलिंग से अधिक बेहतर संवाद होता है। सर्वेक्षण में शामिल 33 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वीडियो कॉलिंग की तैयारी के तौर पर वे बातचीत के लिए पहले से कुछ मुख्य बातों को लिखकर रख लेते हैं। जब उनसे यह पूछा गया कि वे संभावित जीवनसाथी के साथ वीडियो कॉल के लिए अपने को कैसे तैयार करते हैं या करती हैं तो 18 प्रतिशत ने कहा कि वे यह सुनिश्चित करते हैं कि वे कैमरे पर अच्छा दिखें।
इस सर्वेक्षण से यह बात सामने आई कि वीडियो कॉल पर संभावित साथी के साथ पहली बार मिलने के बारे में 47 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे आपस की बातचीत पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि 28 प्रतिशत ने कहा कि वे भावी जीवनसाथी की सुंदरता पर ध्यान केन्द्रित करते हैं, संभावित जीवन साथी के हाव-भाव कैसे हैं और वे देखने में कैसे लगते हैं या कैसी लगती है।
लॉकडाउन में जीवनसाथी की तलाश की प्रक्रिया में ठहराव नहीं आया है। अब आमने-सामने मिलने की बजाय, भारतीयों ने वर्चुअल मीट-अप की व्यवस्था की है। परिणामस्वरूप, 11 सप्ताह पहले की तुलना में लॉकडाउन अवधि में वॉयस और वीडियो कॉल की संख्या में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। लॉकडाउन के बाद की अवधि में उपयोगकर्ताओं ने वॉयस और वीडियो कॉल पर कुल मिलाकर जितना समय लगाया वह पहले की तुलना में तीन गुना अधिक है। प्रति कॉल की औसत अवधि में भी दोगुना वृद्धि हुई है। जीवनसाथी.काॅम के बिजनस हेड रोहन माथुर का कहना है कि सामाजिक दूरी के कारण कई उपभोक्ताओं के व्यवहार में परिवर्तन हुए हैं, और अपने दिल की पंसद के अनुरूप भावी जीवनसाथी को खोजने की प्रक्रिया में वर्चुअल मीट-अप को पंसद किया जा रहा है। इससे यह संकेत मिलता है कि कोरोना संकट के बाद ऑनलाइन मैट्रिमनी पोर्टल्स के लिए यह सर्वमान्य तरीका बनने वाला है।
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