लंदन। भारत में प्रेस की स्वतंत्रता का मोदी सरकार के कार्यकाल में काफी बदतर हाल हुआ है। अधिकतम प्रेस को गुलाम बना लिया गया है या डरा धमका कर स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता को हतोत्साहित किया गया है। इसके अलावा सत्ताधारी संगठन भाजपा का कुछ पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, सामजिक कार्यकर्ताओं और लोकतंत्रवादियों के खिलाफ अभियान भी चलता रहता है। इस पर भाजपा करोड़ों रुपये हर महीने खर्च करती है। इसके अलावा अनेक बार गंभीर मामलों की रिपोर्टिंग में पुलिस, अधिकारियों और नेताओं, आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव रखने वालों द्वारा पत्रकारों के लिए रोड़े अटकाए जाते हैं भारत मंगलवार को जारी रिपोर्टर्स विदाउट बाॅर्डस के वार्षिक विश्लेषण के अनुसार वैश्विक प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में 180 देशों के समूह में दो स्थान नीचे उतरकर 142 वें नंबर पर आया है। द वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2020 के अनुसार भारत में 2019 में किसी भी पत्रकार की हत्या नहीं हुई और इस तरह देश के मीडिया के लिए सुरक्षा स्थिति में सुधार नजर आया।
वर्ष 2018 में छह पत्रकारों की हत्या कर दी गयी थी। रिपोर्ट कहती है, लेकिन लगातार स्वतंत्रता का उल्लंघन किया गया जिनमें पत्रकारों के खिलाफ पुलिसिया हिंसा, राजनीतिक कार्यकर्ताओं द्वारा हमला, बदमाशों एवं भ्रष्ट स्थानीय अधिकारियों द्वारा बदले की भावना से पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई करना शामिल हैं।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2020 में पहले स्थान पर नॉर्वे है, जो कि वर्ष 2019 में भी पहले स्थान पर था। इसके अतिरिक्त दूसरा स्थान फिनलैंड को और तीसरा स्थान डेनमार्क को प्राप्त हुआ है। इस सूचकांक में 180वें स्थान पर उत्तर कोरिया है, जो कि बीते वर्ष 179वें स्थान पर था। भारत के पड़ोसी देशों में भूटान को 67वाँ, म्याँमार को 139वाँ, पाकिस्तान को 145वाँ, नेपाल को 112वाँ, अफगानिस्तान को 122वाँ, बांग्लादेश को 151वाँ, और चीन को 177वाँ स्थान प्राप्त हुआ है।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक प्रत्येक वर्ष रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा जारी किया जाता है। विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक का प्रथम संस्करण वर्ष 2002 में प्रकाशित किया गया था। इस सूचकांक में पत्रकारों के लिये उपलब्ध स्वतंत्रता के स्तर के आधार पर 180 देशों की रैंकिंग की जाती है। यह सूचकांक बहुलतावाद के मूल्यांकन, मीडिया की स्वतंत्रता, विधायी ढाँचे की गुणवत्ता और प्रत्येक देश तथा क्षेत्र में पत्रकारों की सुरक्षा पर आधारित मीडिया स्वतंत्रता की स्थिति का एक सरल विवरण प्रस्तुत करता है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जो लोग एक विशेष विचारधारा का समर्थन करते हैं वे अब राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे सभी विचारों को दबाने की कोशिश कर रहे हैं, जो उनके विचार से मेल नहीं खाती हैं। इसके अतिरिक्त देश में उन सभी पत्रकारों के विरुद्ध एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जा रहा है, जो सरकार और राष्ट्र के बीच के अंतर को समझते हुए अपने कर्त्तव्यों का निर्वाह कर रहे हैं। महिला पत्रकार की स्थिति में इस प्रकार के अभियान और अधिक गंभीर हो जाते हैं।
रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि भारत में आपराधिक धाराओं को उन लोगों खासकर पत्रकारों के विरुद्ध प्रयोग किया जा रहा है, जो अधिकारियों की आचोलना कर रहे हैं। उदाहरण के लिये बीते दिनों देश में पत्रकारों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 124। (राजद्रोह) के प्रयोग के कई मामले सामने आए हैं।
मालूम हो कि प्रेस या मीडिया, सरकार और आम नागरिकों के मध्य संचार के माध्यम के रूप में कार्य करता है। मीडिया नागरिकों को सार्वजनिक विषयों के संदर्भ में सूचित करता और सभी स्तरों पर सरकार के कार्यों की निगरानी करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। ध्यातव्य है कि किसी भी लोकतंत्र में सूचना की स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार होता है, किंतु आँकड़े दर्शाते हैं कि दुनिया की लगभग आधी आबादी की स्वतंत्र रूप से रिपोर्ट की गई सूचना और समाचार तक कोई पहुँच नहीं है। सवाल पूछा जाता है कि पत्रकारों की स्वतंत्रता सुनिश्चित नहीं की जाएगी तो नागरिकों पर हो रहे अत्याचारों से लड़ना, नागरिकों के मूलभूत अधिकारों की रक्षा करना और पर्यावरण जैसे विभिन्न मुद्दों को संबोधित करना किस प्रकार संभव हो सकेगा।
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के अनुसार, वर्ष 2020 में वैश्विक स्तर पर अब तक कुल 10 पत्रकारों की हत्या कर दी गई है और 228 पत्रकारों को कैद कर लिया गया है। वहीं इस वर्ष अब तक 116 नागरिक पत्रकारों को भी कैद कर लिया गया है। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी संगठन है, जो सार्वजनिक हित में संयुक्त राष्ट्र, यूनेस्को, यूरोपीय परिषद, फ्रैंकोफोनी के अंतर्राष्ट्रीय संगठन और मानव अधिकारों पर अफ्रीकी आयोग के साथ सलाहकार की भूमिका निभाता है। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स को रिपोर्टर्स संस फ्रंटियर के नाम से भी जाना जाता है। इसका मुख्यालय पेरिस में है।
समस्त सम्मानित भारतीय नागरिकगण, सादर अभिनंदन ! आज के विषम दौर में सरकारी और प्राइवेट सैक्टर की मनमानियां, लापरवाहियां, जनविरोधी नीतियों का सच सामने आ रहा है। हम जिन ईश्वर, देवी-देवताओं, पीर-पैगंबरों आदि तथाकथित अदृश्य शक्तियों को कल्याणकारी और दुखहर्ता मानते रहे वे सब झूठ साबित हो रहे हैं। विज्ञान, मानवता, इंसानी विवेक और उसकी जद्दोजहद ही इनसान के काम आ रही है। समकालीन भारत - दुनिया में वास्तव में क्या हो रहा है यह जानना और समझना और उसके हिसाब से अपने आपको / समाज को बचाने के लिए जरूरी है कि आप सही सूचनाएं ग्रहण करें। हमारा ऐसा ही प्रयास है। कृपया हमारी वेबसाइट देखें, अपनी राय, समाचार, रचनाएं भेजिए ईमेल peoplesfriend9@gmail.com पर। मो. 9897791822 पर अपने नाम पते सहित अपना संदेश एसएमएस कर सकते हैं। रिपोर्टर बनकर अपनी आमदनी बढ़ाएं हमें भी सहयोग दें। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हिंदी समाचार-विचार वेबसाइट्स- https://uttaranchaljandrishtikon.page और https://peoplesfriend.page