प्रवासियों की पीड़ा तापसी पन्नू की कविता में


मुंबई। कोरोना की रोकथाम के नाम पर लागू की गई बेहद लंबी अवधि की देशव्यापी बंदी से अपने घरों से सैकड़ों-हजारों किलोमीटर दूर रहकर नौकरी/कारोबार करने वाले गरीब लोगों पर बहुत बुरी गुजरी है। मनुष्य की बेकद्री इस दौर मंे काफी भयावह रही है। हर कोई इस दुर्दशा पर अपनी सोच के मुताबिक लिख/बोल रहा है। बॉलीवुड अभिनेत्री तापसी पन्नू ने एक कविता के माध्यम से प्रवासी मजदूरों के उस दर्द को आवाज दी है, जिनका सामना उन्होंने लाॅकडाउन समय में किया है। तापसी का कहना है कि यह महामारी देश के लिए वायरल इंफेक्शन से कहीं ज्यादा बदतर रही है। तापसी की कविता का शीर्षक प्रवासी है जिसके वीडियो में लॉकडाउन के दौरान वायरल हुए उन तमाम मजूदरों की तस्वीरें हैं, जिनके दर्द को देखकर पूरा देश भावुक हो गया था। इन तस्वीरों को एनिमेशन का रूप दिया गया है। वीडियो की शुरुआत हम तो बस प्रवासी हैं, क्या इस देश के वासी है इन पंक्तियों के साथ होती है।
 दर्दभरी एनिमेटेड तस्वीरों के साथ तापसी बैकग्रांउड में अपनी आवाज में कविता पढ़ती रहती हैं। इसमें उन प्रवासियों की परेशानियों को प्रस्तुत किया गया है, जो किसी इंसान के दिल को झकझोर कर रख देने के लिए काफी है। तापसी ने लिखा, तस्वीरों की एक श्रृंखला, जो शायद हमारे दिमाग से कभी नहीं मिट पाएगी। ये पंक्तियां लंबे समय तक हमारे दिमाग में गूजेंगी। यह महामारी भारत के लिए एक वायरल इंफेक्शन से भी बदतर रही।


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