अमेठी, उत्तर प्रदेश। केंद्र से लेकर राज्य तक भाजपा की सरकार है। ऐसे में भी केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के संसदीय क्षेत्र अमेठी में सरकारी अस्पतालों का हाल बेहाल है। जिससे अमेठी की बीस लाख जनता को इलाज के लिए सुलतानपुर, प्रतापगढ़, रायबरेली, लखनऊ और इलाहाबाद जाना पड़ता है। इस महकमे के सीएमओ यानी मुख्य चिकित्सा अधिकारी पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के रिश्तेदार बताए जाते हैं। जिससे वे सपा सरकार से ही अमेठी में जमे है। इनके आने के बाद से ही अमेठी की स्वास्थ्य सेवाएं सरकारी आकड़ों तक सीमित है। जिले में 43 सरकारी अस्पताल हैं। डाक्टर और बाकी स्टाफ की भरमार है। लेकिन स्वास्थ्य सेवाएं बंद के बराबर है। आपातकालीन सेवाएं नाम की है। जिससे मरीज सुलतानपुर रेफर कर दिए जाते हैं। आपातकाल सेवा में तुरंत इलाज न मिलने से आए दिन लोगों के इलाज के अभाव में मौत की खबर आती रहती है। स्वास्थ्य महकमे के जिम्मेदार अफसर कोरोना से निपटने के लिए सरकारी आकड़ों में 593 सर्विलांस टीम बना रखा है। लेकिन ग्राम प्रधानों के मुताबिक टीम के सदस्यों को अबतक किसी भी गांव में देखा नहीं गया है। मगर टीम के मुखिया 344849 घरों की सर्वे रिपोर्ट शासन को भेज दिया है।
सीएमओ की तरफ से जारी डोर टू डोर की सर्वे रिपोर्ट में 319 बुखार, 277 खासी 340 सास आदि मरीज मिले हैं। जबकि जिले की आबादी के हिसाब से डोर टू डोर के आंकड़े ऊंट के मुंह में जीरा के बराबर है। इतने मरीज दो चार गांव से रोज निकलते हैं। लेकिन स्वास्थ्य महकमे के आंकड़े में अमेठी की 99 फीसद जनता निरोग है। फिर भी महकमे की 64 एंबुलेंस दिनरात कागज पर दौड़ती रहती है। कोरोना इलाके को छोड़कर कही भी ब्लीचिंग पाउडर के छिड़काव नहीं कराए गए हैं। जबकि स्वास्थ्य महकमे के पन्ने में मास्क यन 95,पीपीइ किट, ट्रिपल लेयर मास्क, बीटीएम, थर्मामीटर, ग्लब्स सैनिटाइजर और ब्लीचिंग पाउडर की खरीददारी करोड़ों में करने की खबर है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष बृजेंद्र शुक्ल ने कहा कि स्वास्थ्य महकमे का इतना बुरा हाल किसी और जिले में नहीं है। जबकि महमदपुर के नीरज सिंह, बाहापुर के मुंदर पाठक,जंगलरामनगर के रविंद्र, रामदैयपुर के छेदी पासी कमासिन के कमलेश सिंह, भादर के बंगाली सिंह आदि ग्राम प्रधानों ने कहा कि स्वास्थ्य महकमे का डोर टू डोर सर्वे कागजी आकड़ेबाजी है। स्वास्थ्य महकमे की टीम गांव में आई नहीं थी। जिससे जारी आकड़े फर्जी है।
स्वास्थ्य महकमे के पूर्व निदेशक डॉ विनोद सिंह ने कहा कि अस्सी फीसदी जनता बुखार, जुखाम, खासी की दवा मेडिकल स्टोर से खरीद लेती है। लेकिन सरकारी अस्पताल नहीं जाते हैं। कारण अस्पताल में कोई मिलता नहीं है। बाकी निजी डाक्टर से इलाज कराते है। जिले में सबसे ज्यादा समस्या महिलाओं को इलाज के लिए खड़ी हो गई है। अस्पतालों में डिलीवरी तक की व्यवस्था नहीं है। अस्पताल में मलहम पट्टी बिलेट कैची टार्च इंजेक्शन आदि कुछ भी नहीं है। मरीजों के लिए कुर्सी मेज तक नहीं है। संघ के ज्ञान सिंह ने कहा कि सीएमओ को हटाने के लिए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह से भी कहा गया था। लेकिन अब तक सीएमओ हटा नहीं है। -स्वामीनाथ शुक्ला साभार दैनिक देशबंधू
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