ढाका। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश के बंद सिनेमाघरों को फिर से खोलने के लिए वित्तीय मदद करने को लेकर एक विशेष कोष स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है। देश के योजना मंत्री एम. ए. मन्नान ने यह जानकारी दी। प्रधानमंत्री ने अपने आधिकारिक आवास गणभवन से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की अध्यक्षता की, जबकि संबंधित मंत्रियों, राज्य मंत्रियों और सचिवों ने राजधानी के शेर-ए-बांग्ला नगर इलाके में एनईसी सम्मेलन कक्ष से बैठक में हिस्सा लिया।
मन्नान ने कहा कि देश भर के कई सिनेमाघर अब खराब हालत में पड़े हैं और उनमें से कई सिनेमाघरों को शॉपिंग मॉल या अन्य प्रतिष्ठानों में बदल दिया गया है। देश में सक्रिय सिनेमाघरों की संख्या सिमटकर करीब 70 रह गई है। तीन साल पहले यह संख्या 250 थी। जहां 1990 के दशक में देश भर में 1,435 सिनेमा हॉल थे, वहीं अब महज 70 सिनेमा हॉल रह गए हैं।
कोरोना प्रसार रोकने के लिए लागू किये गये लाॅकडाउन से सिनेमाघर भी बंद हो गये। अब इनको फिर से चलाने में दिक्कतें सामने आ रही हैं। खासतौर से सिनेमाघर मालिक आर्थिक रूप से बर्बाद हो चुके हैं। सिनेमाघरों के मैंटेनेंस तक करने मुश्किल हो रहे हैं। इनके अधिकांश श्रमिक वेतन न मिलने से परेशान हो कर अनयत्र चले गये हैं। इसलिए इनके संचालन को सरकारी मदद की दरकार हो रही है।
मालूम हो कि भारत में भी पिछले पांच महीने से अधिक समय से सिनेमाघर बंद हैं। कब यह चालू होंगे, अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। इनके भी अधिकांश कर्मचारी भुखमरी, आर्थिक बदहाली के शिकार हैं। विभिन्न जिलों जैसे - बरगुना, बागेरहाट, झालोकाटी, नरैल, नटोर, मुंशीगंज, नरसिंगडी, पंचगढ़, ब्राक्षनबाड़िया, कुरीग्राम, लालमुनीरहाट, गैबंध, चूडांगा, कॉक्स बाजार, खेग्राचारी, बंदरबन और 25 अन्य जिलों में कोई सिनेमा हॉल नहीं है। हालांकि जेसोर में, 21 सिनेमा हॉल हैं, लेकिन केवल चार सिनेमा हॉल खुले हैं। सूत्रों ने कहा कि सिनेमा हॉल बंद करने के पीछे का कारण व्यवसाय का अच्छा नहीं चलना रहा है, इसके अलावा अच्छी फिल्में नहीं बन रही थीं। कुल 80 सिनेमा हॉल जो अभी भी संचालित होते हैं, वे भी खस्ताहाल हैं।
इग्जिबिटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और निमार्ता इफ्तेखार उद्दीन नौशाद ने कहा, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि एक या दो फिल्में एक साल में व्यवसाय नहीं कर रही हैं। लेकिन, क्या सिनेमा हॉल इस तरह से टिक पाएंगे? बांग्लादेशी फिल्में अब लाइफ सपोर्ट पर हैं। अगर सिनेमाघरों की संख्या दिन-प्रतिदिन कम होती रही, तो बहुत बड़ा संकट होगा। एक दिन देश में कोई सिनेमा हॉल नहीं होगा। हसीना के निर्देशों पर प्रकाश डालते हुए, योजना मंत्री ने कहा कि अगर सिनेमाघर मालिक बंद सिनेमाघरों को फिर से खोलना चाहते हैं तो वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
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