नई दिल्ली। आने वाले समय में पता नहीं देश का क्या होगा। केंद्र सरकार की आमदनी बेहद घट गई है लेकिन खर्च करीब 80 फीसदी बढ़ गया है। आने वाले समय में कर्मचारियों को तन्ख्वाह, भत्तों के भुगतान की समस्या पैदा हो सकती है। बजट में जो जनकल्याणकारी और अर्थव्यवस्था को गति देने वाली घोषणाएं की गई थीं उनके लिए सरकार के पास धन नहीं है। केंद्र सरकार से राज्यों को जो पैसा मिलता है वह नहीं मिल रहा। सरकार पिछली सदी में जनता के पैसे से खड़ी की गई अनेक कंपनियां भारत पैट्रोलियम, कोरोनावायरस और लॉकडाउन के कारण सरकार की आय में भारी गिरावट आई और खर्च बहुत ज्यादा बढ़ गया। इसके कारण पहली तिमाही में सरकार का वित्तीय घाटा पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 53 फीसदी बढ़ गया। यह बात घरेलू रेटिंग एजेंसी केयर रेटिंग्स ने कही। सरकार ने शुक्रवार को पहली तिमाही का वित्तीय लेखा-जोखा जारी किया था। कट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स (सीजीए) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश का वित्तीय घाटा 6.62 लाख करोड़ रुपए रहा। यह 2019-20 की पहली तिमाही के मुकाबले 53 फीसदी ज्यादा है। बजट अनुमान के हिसाब से देखा जाए, तो 83 फीसदी है, जो पिछले कारोबारी साल की समान अवधि में 61 फीसदी था।
जानकारी के मुताबिक अप्रैल-जून तिमाही में सरकार का वित्तीय घाटा 6,62,363 करोड़ रुपए रहा, जो एक साल पहले की समान तिमाही में 4,32,055 करोड़ रुपए था। सरकार की आय इस दौरान 1,53,581 करोड़ रुपए रही, जो एक साल पहले की समान तिमाही के 2,89,650 करोड़ रुपए के मुकाबले 47 फीसदी कम है। सरकार का खर्च 8,15,944 करोड़ रुपए रहा, जो एक साल पहले की समान तिमाही के 7,21,705 करोड़ रुपए के मुकाबले 13.1 फीसदी ज्यादा है। पहली तिमाही में सरकार के टैक्स रेवेन्यू में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 32.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इनकम टैक्स में 36 फीसदी की कमी आई। इससे पता चलता है कि लॉकडाउन का लोगों की आय पर कितना बुरा असर हुआ। पहली तिमाही में ग्रामीण विकास और कृषि पर हुए खर्च में एक साल पहले की समान तिमाही के मुकाबले सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई। केयर रेटिंग्स ने कहा कि कोरोनावायरस राहत कार्यक्रमों के कारण इन खर्चों में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस पर हुए खर्च में एक साल पहले के मुकाबले सबसे ज्यादा गिरावट आई। इसका कारण यह हो सकता है कि इस दौरान इनका आयात काफी कम हुआ।
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