वाॅशिंगटन। भारत में मोदी सरकार ने मुख्यधारा के अधिकांश मीडिया घुटनों के बल रेंगने को मजबूर कर दिया है। वे सरकार के गलत-सलत निर्णयों को बेहतर बताने, सरकार और सत्तारूढ़ संगठन के जनविरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाने के काम में अपनी पूरी प्रतिभा के साथ लगा है। ऐसी खराब पत्रकारिता भारत के इतिहास में इससे पहले कभी नहीं थी। लेकिन अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शुरु से ही मीडिया के निशाने पर हैं। उनकी कार्यशैली, नीतियों की लगातार आलोचना होती रही है। उनकी पत्रकारों से नोक-झौंक भी होती रही है। लेकिन वह अमेरिका है जहां राष्ट्रपति पत्रकार वार्ता करने को मजबूर हैं और पत्रकार सवाल करने से नहीं डरते। हमारे यहां प्रधानमंत्री प्रेस के सामने नहीं आता और अधिकांश पत्रकार सरकार के लोगों से सवाल करने या उसकी खामियां उजागर करने में डरते हैं, नौकरी जाएगी, विज्ञापन बंद हो जाएगा, जेल जाना पड़ेगा या जान से हाथ धोना पड़ सकता है। लेकिन अमेरिका में पत्रकार और पत्रकारिता जिंदा है।
पत्रकारों के तीखे सवालों से ट्रम्प कई बार प्रेस-ब्रीफिंग भी छोड़कर जा चुके हैं। कैमरे के सामने उनके सवाल अनसुना करने का दिखावा कर चुके हैं और तंग आकर मीडिया और पत्रकारों को ‘लोगों का दुश्मन’ बता चुके हैं। सीएनएन के जिम अकोस्टा, हफिंग्टन पोस्ट के एसवी दाते और क्रिस वॉलेस ऐसे ही पत्रकार हैं जिन्हें देखते ही ट्रम्प के हाव-भाव बदल जाते हैं। इनसे भास्कर ने बात की और जाना कि आखिर क्यों ट्रम्प उनके निशाने पर रहते हैं।
सीएनएन के पत्रकार जिम अकोस्टा को ट्रम्प समर्थकों से धमकियां मिलती हैं। उन्हें बॉडीगार्ड तक रखने पड़े। 2018 में उनके सवाल से झल्लाए ट्रम्प ने जिम व सीएनएन को ‘लोगों का दुश्मन’ तक कह डाला। जिम कहते हैं कि अमेरिका में इस वक्त ऐसा माहौल है कि पत्रकारों को भी बॉडीगार्ड्स रखने पड़ रहे हैं। आप समझ सकते हैं कि इन हालात में हम कैसे काम कर रहे हैं।
हफिंग्टन पोस्ट के शिरीष दाते ने ट्रम्प से पूछा था- आपने जितने झूठ बोले हैं, उन पर पछतावा है? ट्रम्प बिना उत्तर दिए ही परे देखने लगे। दाते कहते हैं- ट्रम्प को लगता है मेरी किताब ‘द यूजफुल इडियट: हाउ डोनाल्ड ट्रम्प किल्ड द रिपब्लिकन पार्टी विथ रेसिज्म एंड कोरोनावायरस से उनकी छवि खराब हुई है। मैं काफी समय से यह सवाल पूछना चाहता था। लेकिन मौका अब मिला। फॉक्स न्यूज के क्रिस वॉलेस ने जुलाई में ट्रम्प का इंटरव्यू लिया था। वे लगातार सवाल पूछ रहे थे और ट्रम्प जवाब नहीं दे पा रहे थे। कोरोना से निपटने के तरीके से जुड़े सवाल पर उनकी हालत देखने लायक थी। क्रिस कहते हैं, ट्रम्प सच से कतराते हैं, उनका सामना नहीं कर पाते। यही वजह है कि महामारी आने के बाद अमेरिकी लोगों का विश्वास ट्रम्प की जगह बिडेन पर बढ़ता जा रहा है।
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